दोस्तों,
हमारा देश बेरोजगारी के एक ऐसे भयावह हालात से गुज़र रहा है, जिसमें न सिर्फ नए लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है बल्कि जिन लोगों के पास रोजगार था, वो भी अपने रोज़गार खो रहें हैं । यह स्थिति सिर्फ प्राइवेट या असंगठित क्षेत्रों की ही नहीं है बल्कि सरकारी संस्थाओं में काम कर रहे लोगों की नौकरियाँ भी खतरे से बाहर नहीं रही । मौजूदा केंद्र सरकार जिस तरह सरकारी उपक्रमों और संस्थाओं को निजी कंपनियों के हाथों बेच रही है, उससे रोजगार का संकट और भी गहरा होता जा रहा है । गौरतलब बात यह है कि केंद्र सरकार रेलवे जैसी संस्थाओं का भी निजीकरण कर रही है जो हमेशा से मुनाफ़े में रही है । कभी भारतीय अर्थव्यवस्था की गिनती दुनिया में तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में की जाती थी लेकिन वर्तमान में इसकी जीडीपी 23.9 % नीचे गिर कर 40 सालों का रिकार्ड तोड़ दी है । उद्योग-धंधे की बात करें तो भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले छोटे और मझोले कद के उद्योग-धंधों की स्थिति आज सबसे खराब हैं । जहाँ तक कृषि क्षेत्र का सवाल है वहां संकट और गहरा होता जा रहा है जबकि भारत की सबसे ज्यादा आबादी इसी क्षेत्र पर निर्भर है । नोटबंदी और जीएसटी जैसे क़ानून ने तो पहले से ही इन उद्योग-धंधों के हालात को खस्ता कर रखा था, रही-सही कसर को कोरोना के वर्तमान संकट ने पूरा कर दिया । कोरोना के इस संकट ने न सिर्फ उद्योग-धंधों को चौपट किया बल्कि बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरियाँ भी छीन ली । कोरोना की इस महामारी ने भारत की बेरोजगारी दर को 24 प्रतिशत तक बढ़ा दिया । ऐसे हालात में केंद्र सरकार पिछले 7 सालों में रोजगार के नए अवसर तो पैदा करना दूर बचे-खुचे रोजगार के अवसर को भी निजीकरण के माध्यम से ख़त्म करने पर तुली हुई है । आत्मनिर्भर भारत बनाने की आड़ में देश के लोगों को रोजगार के लिए आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर बनाने का रास्ता खोला जा रहा है ।
युवाओं ने एक साथ मिलकर रोज़गार के मुद्दे को लेकर समय-समय पर अपनी-अपनी आवाज़ बुलंद की, जो हर एक शहर कस्बे गांव की गलियों एवं सत्ता के गलियारों में पहुंची तो ज़रूर मगर राष्ट्रीय स्तर पर संगठित न होने की वजह से यह बुलंद आवाज़ धीरे-धीरे कहीं गुम हो गयी । देश की बात फाउंडेशन ने युवाओं की इस बुलंद आवाज़ को फिर से हर एक गली-गलियारे एवं सत्ता की बुलंदी पर बैठे सत्ताधारियों तक पहुँचाने और बेरोज़गारी की समस्या का स्थायी समाधान निकालने के लिए राष्ट्रीय रोज़गार नीति बनवाने की मुहिम चलाई है ।
बेरोज़गारी के मुद्दे का स्थायी समाधान निकालने हेतु, देश की बात फाउंडेशन आगामी 1st- 8th अक्टूबर 2021 को भारतीय युवा संसद का आयोजन करने जा रही है । जिसमें देश के सभी राज्यों, केंद शासित प्रदेशों और दुनिया के कई देशों से हज़ारों की संख्या में छात्र, युवा, शिक्षाविद और बुद्धिजीवी भारतीय युवा संसद में शामिल होंगे और राष्ट्रीय रोज़गार नीति पर विचार-विमर्श करके देशवासियों के सामने राष्ट्रीय रोज़गार नीति का ड्राफ्ट रखेंगे । देशवासियों से अपने सुझाव देने के लिए अपील करेंगें । देशवासियों के सुझाव को शामिल करके इसे केंद्र सरकार को लागू करने के लिए सौंपा जाएगा । हम आशा करते हैं कि आप सभी इस विषय की गहराई और आगामी परिणामों को समझते हुए हमारा साथ देंगे और हर संभव मदद करेंगें । इस अभियान को सफल बनाने के लिए आपका सक्रिय सहयोग अति आवश्यक है ।